पधारो गजानन जी

कर आवाहन हे गजानन,

आसन हमने बिछाया है,

चंदन की चौकी पर हमने,

लाल वस्त्र सजाया है।


आंँगन को गोबर से लीपकर, 

गंगा जल छिड़काया है।

रंगोली कुमकुम से रचकर,

कलश हमने बिठाया है।


अपने द्वार पर हे गजानन ,

तोरण पल्लव का सजाया है।

डाली भरकर दूब गजानन,

अर्पण को इसे लाया है।


कर जोड़ कर हे गजानन,

आपको हमने बुलाया है

जनेऊ चढ़ाकर हे गजानन,

मस्तक तिलक लगाया है।


गूथ कर फूलों की माला,

मंडप हमने सजाया है।

धूप दीप को अर्पित कर,

अक्षत पुष्प चढ़ाया है।


मोदक बनाकर हे गजानन,

छप्पन भोग चढ़ाया है।

ग्रहण कीजे हे गजानन,

हाथों से अपने बनाया है।


मूषक वाहन चढ़के गजानन,

घर में मेरे पधारो जी।

देर ना कीजे हे विनायक,

दर्शन आकर दीजे आकर जी।।


      अर्चना भारती

 पटना (सतकपुर सरकट्टी)बिहार