शान तेरी ना घटे मेरी माँ
मान तेरी ना घटे मेरी माँ
विश्व की रहें सदा अभिमान
तुझपे कुर्बान कर देंगे जान
लहराता रहें हिम मे तिरंगा
बहती रहें नित पावन गंगा
नित बढ़ती रहें तेरी ही शान
तुझपे कुर्बान कर देंगे जान
दुनिया मे परचम लहराये
तेरे आगे कोई टिक ना पाये
सबसे ऊँचा हो तेरा मुकाम
तुझपे कुर्बान कर देंगे जान
चाँद पर होगा हमारा बसेरा
सूरज का भी लगाएंगे फेरा
बस यही हो सबकी जुबान
तुझपे कुर्बान कर देंगे जान
रचनाकार
प्रमेशदीप मानिकपुरी
आमाचानी धमतरी छ.ग.
9907126431