लाल किले की प्राचीर से पीएम की भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार - भ्रष्टाचार से मुक्ति अबकी बार
देश में भ्रष्टाचार की जड़ें पटवारी, तहसील से एसडीओ कार्यालय तक से काटने की ज़रूरत है, क्योंकि जनता के दन्य जीवन काल की शुरुआत यहीं से होती है - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर सारी दुनिययां की नजरें भारतीय लाल किले की प्राचीर पर सुबह 7:30 से 90 मिनट तक टिकी रही यहां से माननीय पीएम 77 वें स्वतंत्रता दिवस 2023 के अवसर पर देश को संबोधित कर रहे थे, जिसके एक भाग में उन्होंने कहा कुछ विकृतियां हमारे समाज व्यवस्था में घुस गई है, परंतु कभी-कभी हम आंख बंद कर लेते हैं। अगर संकल्प सिद्ध करना है तो आंख से आंख मिलाकर तीन बुराइयों से लड़ना समय की मांग है, भ्रष्टाचार परिवारवाद और तुष्टीकरण।
भ्रष्टाचार ने दीमक की तरह अर्थव्यवस्था को नोच लिया है। भ्रष्टाचार मुक्ति इसके खिलाफ जंग पीएम के जीवन का कमिटमेंट है। उन्होंने कहा मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा। इसपर मेरा मानना है कि तीन बुराइयों में सबसे खतरनाक बुराई भ्रष्टाचार है, क्योंकि यह देश के राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक, पर्यावरण की लागत और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर प्रभाव डालती है। मेरा मानना है कि उच्च स्तरपर भ्रष्टाचार पर आम जनता पर डायरेक्ट प्रभाव नहीं पड़ता।
वह बड़े लोगों, रसूख रखने वाले नेताओं, उद्योगपतियों ब्यूरोक्रेसी के लेवल पर फर्क पड़ता है,जैसे महाराष्ट्र में 100 करोड़ वसूली मुद्दा, एमपी में अनेक ब्यूरोक्रेसी के घर पर छापा चपरासी से लेकर आईएएस तक करोड़ों की तादाद में बरामदगी, नियुक्तियों में भ्रष्टाचार मुद्दा, शिक्षक भर्ती घोटाला,एक राज्य में 40 परसेंट तो अभी दूसरे राज्य में 50 पर्सेंट ठेकेदारी मुद्दे कामामला इत्यादि अनेक ऐसे मामले देश के सामने हैं।
परंतु आम जनता जनार्दन का काम पटवारी से लेकर वाया तहसील कार्यालय तक और एसडीओ से लेकर कलेक्टर ऑफिस तक यही उनका जीवन का अधिकतम हिस्सा निपट जाता है और इन्हीं चार पहियों पर आम आदमी का सामर्थ्य दीमक की तरह नोच लिया जाता है जिसका अनुभव मैंने अपने जीवन में कई बार किया है और मेरे पेशे के अनुसार कई बार आम जनता को पीड़ित होते हुए देखा है।
आज माननीय पीएम महोदय का संबोधन सुनकर इस आर्टिकल के माध्यम से इन प्राथमिक चार स्तरों स्तंभों के पदों पर भ्रष्टाचार की लगाम कसने का अनुरोध कर रहा हूं, क्योंकि यह चार स्तंभ आज भ्रष्टाचार से मुक्त हो गए तो आम जनता के सामने सुख चैन ख़ुशी होगी। सबसे पहले तो इन चार स्तंभों से जुड़े हर शासकीय सेवादारों का आर्थिक सर्वेक्षण कराया जाए तो पता चलेगा की कितनी मलाई दिखेगी, कितनी प्रॉपर्टी,रसूख़ उनका लिविंग ऑफ स्टैंडर्ड, क्या इतनी सी पगार में संभव है??
दिनांक 15 अगस्त 2023 को रात्रि एक टीवी चैनल पर पब्लिक इंटरेस्ट कार्यक्रम दिखाया गया जिसमें ग्राउंड रिपोर्टिंग में आम जनता से मुलाकात कर इसका प्राथमिक लेवल पर भ्रष्टाचार की जड़ों को समझाया गया जिसका आयोजन पीएम की लाल किले की प्राचीर से भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार के आधार पर बताई गई सच्चाई के रूप में दिखाया गया।
इसलिए उच्च अधिकारियों को चाहिए कि इन चार स्तंभों पर तात्कालिक ध्यान देकर भ्रष्टाचार्यों को पकड़ने में रूचि दिखाएं, परंतु समस्या चैनल की है, जिसमें हर कर्मचारी एक दूसरे की ढाल बनाकर रिपोर्ट उनके समर्थन में देंगे और मामला दर्ज ही नहीं होगा। चूंकि लालकिले की प्राचीर से माननीय पीएम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाईलड़ता रहूंगा की कमेंटमेंट किया है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,लाल किले की प्राचीर से पीएम की भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार,भ्रष्टाचार से मुक्ति अबकी बार।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार की करें तो, भारत में भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जो केन्द्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारी संस्थानों की अर्थव्यवस्था को कई तरह से प्रभावित करता है। भारत की अर्थव्यवस्था को ठप करने के लिए भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया जाता है। 2005 में ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल द्वारा किए गए एक अध्ययन में दर्ज किया गया कि 62 फ़ीसदी से अधिक भारतीयों ने किसी न किसी समय पर नौकरी पाने के लिए एक सार्वजनिक अधिकारी को उत्कोच दी थी।
2008 में, एक अन्य रिपोर्ट ने दिखाया कि लगभग 50 फीसदी भारतीयों को कुछ देने या सार्वजनिक कार्यालयों द्वारा सेवाओं को प्राप्त करने के लिए सम्पर्कों का उपयोग करने का प्रत्यक्ष अनुभव था।
साथियों बात अगर हम लाल किले की प्राचीर से पीएम के भ्रष्टाचार पर संबोधन की करें तो, उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को 10वीं बार संबोधित किया 90 मिनट के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने 12 बार परिवारवाद, 11 बार भ्रष्टाचार और 8 बार तुष्टिकरण का जिक्र किया, और जनता से तीनों बुराइयों से मुक्ति की अपील की।
साथियों बात अगर हम ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल रिपोर्ट की करें तो, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर फॉर एशिया के अनुसार भ्रष्टाचार के मामले में भारत अब एशिया में शीर्ष पर है। इस रिपोर्ट के अनुसार करीब 50 फीसदी लोगों को अपना काम निकलवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ी। इनमें से 63 फीसदी ने इस डर से कोई शिकायत भी नहीं की कि इससे उन्हें कहीं बाद में कोई परेशान ना करे। इस रिपोर्ट के अनुसार करीब आधी आबादी अपने संपर्कों या जुगाड़ से काम निकलवाने में भरोसा रखती है। यह भी एक तरह का भ्रष्टाचार ही है और इससे सिस्टम में भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिलता है।
भ्रष्टाचार के मामले में भारत और चीन की स्थिति बराबर की रही है, लेकिन जहां चीन ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है, वहीं पिछले साल की तुलना में भारत की स्थिति और भी बदतर हुई है। हमारे यहां सबसे शक्तिशाली समूह राजनीतिज्ञों का है। भ्रष्टाचार जैसी बीमारी को दूर करने का काम केवल राजनैतिक इच्छाशक्ति से ही हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर हमारा राजनीतिक सिस्टम इसमें पहल क्यों नहीं करता?
इसका जवाब इन आंकड़ों में है,हमारे यहां दागी सांसदों की संख्या जहां 2004 में प्रतिशत थी, वहीं यह 2019 में बढ़कर 43 फीसदी हो गई। इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या सत्ताधारी पार्टी में है। हाल ही में बिहार में हुए चुनाव में दागी विधायकों की संख्या में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2015 में जहां चुने हुए विधायकों में से 58 फीसदी पर आपराधिक मामले दर्ज थे, वहीं 2020 में यह संख्या बढ़कर 68 फीसदी हो गई। हमारे जनप्रतिनिधियों के दागी होने का मतलब यही है कि जब उनका दामन साफ नहीं होगा तो वे भ्रष्टाचार को दूर करने का प्रयास क्यों करेंगे, क्योंकि व्यवस्था में भ्रष्टाचार ही इन्हें अपने कारनामों को ढंकने में मदद करता है।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार के कानूनी ढांचा और नियामक ढांचा की करें तो, कानूनी ढांचा-भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018, धन संशोधन अधिनियम 2002, कंपनी अधिनियम 2013, भारतीय संघ दंड संहिता अधिनियम 1860, नियामक ढांचा-राष्ट्रीय स्तर भ्रष्टाचार के विरुद्ध काम करने वाले प्रमुख संस्थान भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रीय स्तर पर तीन प्रमुख संस्थान हैं-लोकपाल, केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) और केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार परसेप्शन इंडेक्स 2022 की करें तो,180 देशों की लिस्ट में भारत को 40 अंकों के साथ इस साल 85 वें पायदान पर रखा गया था।
2023 का जारी होना बाकी है। मुख्य बिंदु -भ्रष्टाचार के मामले में भारत, भूटान के बाद दक्षिण एशिया का दूसरा सबसे साफ सुथरी छवि वाला देश है, इससे पहले 2021 के लिए जारी करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2021 में भी भारत 85 वें स्थान पर था, जबकि 2020 के लिए जारी इंडेक्स में भारत को 86 वें स्थान पर रखा गया था।
वहीं 2019 में जारी इंडेक्स को देखें तो उसमें भारत को 41अंकों के साथ 80वें पायदान पर रखा था। गौरतलब है कि दुनिया भर के देशों में करप्शन के स्तर को मापने वाला यह इंडेक्स हर साल संगठन ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी किया जाता है।रिपोर्ट की मुख्य बातें-देखा जाए तो दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान सबसे ज्यादा भ्रष्ट देश है, जिसे इस इंडेक्स में 150वें स्थान पर रखा गया है। उसके बाद बांग्लादेश है जिसे 25 अंकों के साथ 45वें स्थान पर जगह मिली है।वहीं पाकिस्तान 27 अंकों के साथ 140वें पायदान पर है।
वहीं यदि दक्षिण एशिया के अन्य देशों की बात करें तो नेपाल 110, श्रीलंका 101 और मालदीव भी 85वें स्थान पर है।वहीं यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो इंडेक्स के मुताबिक अफ्रीकी देश सोमालिया सबसे भ्रष्ट्र देश है जिसे 12 अंकों के साथ लिस्ट में सबसे नीचे यानी 180वें स्थान पर रखा है। सीरिया 178, दक्षिण सूडान 178, वेनेजुएला 177, यमन 176, लीबिया, उत्तर कोरिया, हैती, इक्वेटोरियल गुएना और बुरुंडी 17 अंकों के साथ सम्मिलित रूप से 171 वें पायदान पर हैं। वहीं अमेरिका 24वें, यूके 18वें और चीन 65वें स्थान पर है। रिपोर्ट के मुताबिक यदि दुनिया की सबसे साफ-सुथरी छवि वाले देश की बात करें तो डेनमार्क इस मामले में सबसे ऊपर है, जिसे कुल 90 अंक मिले हैं।
उसके बादफिनलैंड न्यूज़ीलैंड 87 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर हैं।वहीं नॉर्वे चौथे, सिंगापुर-स्वीडन पांचवे, स्विटज़रलैंड सातवें, नीदरलैंड्स आठवें, जर्मनी नौवें, वहीं आयरलैंड और लक्सम्बर्ग दोनों दसवें पायदान पर हैं।सरकारों को अपने निर्णयों में जनता को भागीदार बनाना चाहिए। इसमें व्यापारियों, कार्यकर्ताओं से लेकर समुदाय के हाशिए पर रह रहे लोगों और युवाओं को शामिल किया जाना चाहिए। लोकतांत्रिक समाज में, लोग भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने में मदद के लिए अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं और सभी के लिए एक सुरक्षित दुनिया की मांग कर सकते हैं। हमें समझना होगा कि भ्रष्ट्राचार न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है।
यह ऐसा दीमक है जो हमारे आज के साथ-साथ कल को भी नष्ट कर रहा है। ऐसे में हम सभी को मिलकर इसका मुकाबला करना होगा। क्या है करप्शन परसेप्शन इंडेक्स? दुनिया में हर साल भ्रष्टाचार की स्थिति को बताने वाला यह इंडेक्स, संगठन ट्रांस्पेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा जारी किया जाता है। इस इंडेक्स में 180 देशों को उनके सार्वजनिक क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार के आधार पर 0 से 100 के बीच अंक दिए जाते हैं।यहां 0 का मतलब सबसे ज्यादा भ्रष्ट, जबकि 100 का मतलब सबसे कम भ्रष्ट देश होता है। हालांकि देखा जाए तो इस साल किसी भी देश को 100 में से 100 अंक नहीं मिले हैं।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भ्रष्टाचार पर जबरदस्त वार लाल किले की प्राचीर से पीएम की भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार - भ्रष्टाचार से मुक्ति अबकी बार।देश में भ्रष्टाचार की जड़ें पटवारी, तहसील से एसडीओ कार्यालय तक से काटने की ज़रूरत है, क्योंकि जनता के दन्य जीवन काल की शुरुआत यहीं से होती है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र