अहिंसा

गाँधी बनना नहीं आसान,अहिंसा अपनाना नहीं आसान।

बिन कृपाण उठाये हिन्द आज़ाद कराना नहीं आसान।

सत्ता की भूख के बिना देश सेवा करना नहीं आसान,

गाँधी बनना नहीं आसान...


भय से जिनके काँपी गलियां और शहर,

बिन बंदूक चलाये जिनकी बोली करती थी असर।

शोणित में जिनके दौड़ता था हिन्दुस्तान,

गाँधी बनना नहीं आसान...


बिन हथियार के जिन्होंने युद्ध लड़ा,

घुटने टेकवाये अंग्रेजों से,था वो साधु बड़ा।

बिन समर जिसने किया आजादी का आह्वान,

गाँधी बनना नहीं आसान...


हाथ पकड़कर अहिंसा का मैं भी तुम सी बन जाऊँ,

नफ़रतों की आँधी में प्रेम की लौ बन जाऊँ।

प्रीत बसर हो इस धरा पर और सुखमय आसमान,

गाँधी बनना नहीं आसान ...


डॉ.  रीमा सिन्हा (लखनऊ)