शहर में

आधुनिकता के इस दौर में अध्यात्म से दूरी 

युवाओं का खुलेआम सिगरेट शराब गुटका तंबाकू कि क्या है मजबूरी

खौफ हर समय बना हुआ है शहर में 

कहां है अफसरों की फौज अब शहर में

वक्त बदलता है जरुर पर इस तरह नहीं

जहां अमन चैन सब कुछ खत्म सा हुआ शहर में,

अब संस्कारों की पैरवी

सभ्यता की वह बात

कल्चर के नाम पर गुमनाम युवाओं को हमें ही जागना होगा क्योंकि कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है शहर में,

खुलेआम कत्ल मारधाड़ मनचलों की फौज भरी पढ़ रही है शहर में

जागो अब तो जागो साहब

शांति का टापू समन्वय का दीप

आमजन का अमन चैन सब कुछ खत्म क्यों हो गया शहर में।

चोरी लुट अपराध हत्या

यौन शौषण महिला  उत्पीड़न

सब कुछ तो हो रहा है शहर में,

अब समाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए

 आगे आ कर शहर को बचना चाहिए 

क्योंकि शहर तो हमारा ही है

हम नागरिक हैं इस शहर के 

सकारात्मक प्रयास की रोशनी

नये संकल्पों के साथ 

अब शहर को बचना ही होगा

बहुत कुछ हो गया है  शहर में ।।


प्रेषक लेखक - हरिहर सिंह चौहान 

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001

मोबाइल- 9826084157