मेरी मातृभूमि

   मातृभूमि  नमन  तुम्हें। 

   दे सकूँ  श्रमधन तुम्हे।

  अल्प शक्ति लघु तप से-

   दूँ , सुशील स्वजन तुम्हें।


   ज्ञान  शोषित  अनमना। 

   योग्य का  विफल रहना। 

   बंधनी  सकल  बिखरे-

  आज मुक्ति  नव अँकना। 


  जन्म भू,  अनुनय  करूँ। 

  छात्र  में  तव सुधि धरूँ।

  भक्ति वे  अरपन  करें -

  मोक्ष का सुख  हिय भरूँ। 


   मीरा भारती,

   पटना,बिहार।