सुशासन को आखरी छोर तक ले जाना है

भ्रष्टाचार को रोककर सुशासन को 

आखरी छोर तक ले जाना हैं

सरकारों को ऐसी नीतियां बनाना हैं

भारत को सोने की चिड़िया बनानां हैं


आधुनिक प्रौद्योगिकी युग में भी

अपनी जड़ों से जुड़कर रहना है 

प्रौद्योगिकी का उपयोग 

कुशलतापूर्वक करना है


प्रौद्योगिकी पर जोर देकर 

विकास को बढ़ाना हैं 

कल के नए भारत को 

साकार रूप देना हैं


साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाना हैं 

संकल्प लेकर सुशासन को 

आखिरी छोर तक ले जाना हैं 


भारत को परिवर्तनकारी 

पथ पर ले जाना हैं 

सबको परिवर्तन का सक्रिय 

धारक बनाना हैं 


न्यूनतम सरकार अधिकतम 

शासन प्रणाली लाना हैं 

सुशासन को आखिरी 

छोर तक ले जाना हैं 


भारतीय लोक प्रशासन को 

ऐसी नीतियां बनाना हैं 

वितरण प्रणाली में भेदभाव

क्षमता अंतराल को दूर करना हैं 


लोगों के जीवन की गुणवत्ता 

कौशलता विकास में सुधार करके 

सुखी आरामदायक बेहतर 

ख़ूबसूरत जीवन बनाना हैं 


सुविधाओं समस्यायों समाधानों 

की खाई पाटना हैं 

आम जनता की सुविधाओं को 

अधनुतिक तकनीकी से बढ़ाना हैं 


-लेखक- कर विशेषज्ञ, स्तंभकार साहित्यकार, कानूनी लेख़क, चिंतक,कवि, एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया  महाराष्ट्र