भारत भूमि वीरों की जननी, अनुपम छवियों वाली है
मतवाली प्रजा देशप्रेम में,सब न्यौछावर करने वाली है
जय जवान जय किसान का,नारा यहां पर गूंजता है
मेरे देश की प्यारी माटी को,यह सारा चमन चूमता है
इतनी सारी भाषाओं को, मेरे भारत ने खूब संवारा है
विभिन्न संस्कृतियों का मेल, यहां सारे जग से न्यारा है
उत्तर से दक्षिण तक लेकर,पूरब से पश्चिम तक लेकर
प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता,हर जन जिसे पूजता है
नदियों की कल कल में देखों, मधुर स्वर लहरियां है
खग कलरव की तान में भी, संगीत सुरम्य बेलिया है
ऐसी वाणी हम लोगों की, नदियां भी हमारी माता हैं
पत्थर में भी देखें ईश्वर, पूजा कर हर भक्त झूमता है
विश्व गुरु की पहचान देश ने, यूं ही नहीं बना ली है
योगी मुनियों ने लगा समाधि, इस ब्रह्मांड को जाना है
स्वामी विवेकानंद की वाणी, मेरे भारत की वाणी है
योग करने को जगत यह सारा, मेरे देश को ढूंढता है
वीर भगत सिंह राजगुरु और आजाद सुभाष से सेनानी
गार्गी मैत्रेयी अपाला मां सीता, सावित्री की यहां कहानी
इंदिरा किरण बेदी कल्पना चावला और झांसी की रानी
धरती से लेकर क्षितिज तलक,इन सबका नाम गूंजता है
स्वरचित एवं मौलिक
अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश