भारत अपनी पहचान खोजो।
अखण्डता की अभिमान खोजो।
कहीं तुम्हारी संस्कृति खो रही है।
कहीं तुम्हारी सभ्यता का हनन हो रहा है।
न दान, न धर्म न मानवीय भेष भूषा है।
लोकतंत्र में विडंमनाओं का मेला है।
कौन याद करता है, बलिदानी सपुतों को।
कौन मिटाता है गद्दार कपुतों को।
उठो भारत के जन- जन
अपनी मां की रुह देखो कण- कण।
कैसे मिट रही हैं, कैसे कुछ छूट रही हैं।
राजनीति की रणनीति से मां का हृदय टूट रहा है।
बेटियां लाचार,मां बाप नि:सहाय हैं।
न्याय भी कहां चुका रहा सत्य की उपकार है।
अब आश तुम हो, मां की प्यास तुम हो।
वो तुम्हारी ओर देखकर कह रही हैं।
भारत अपनी पहचान खोजो ।
अखण्डता कि अभिमान खोजो।
नाम -विकाश कुमार
पता -बकुआं नौबतपुर पटना बिहार पिन कोड 804452