गज़ल : तुम्हारी खुशबू महक रही हैं

तुम्हारी खुशबू महक रही हैं,

हमारी सांसें बहक रही हैं।


मिली है जबसे निगाहें तुमसे,

दिलों की कलियां चटक रही हैं।


सुना रही हैं नदी तराने,

शज़र पे बुलबुल चहक रही हैं।


छुआ है हाथों ने हाथ जबसे,

निगोड़ी चुड़ियां खनक रही हैं।


कि बातें कहनी हैं जो भी तुमसे,

लबों पे आकर अटक रही हैं।


स्वरचित रचना

रंजना लता

समस्तीपुर, बिहार

9835838926