शिव विवाह कि कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता

नवाबगंज /गोण्डा। कस्बे के निकट महंगूपुर गाँव डॉ0 अम्बरीश पाण्डेय के संयोजन में आयोजित शिव पुराण कि कथा के पंचम दिवस पर कथा व्यास ने शिव पार्वती कि कथा का सुंदर वर्णन किया। कथा व्यास आचार्य हरि प्रसाद मिश्र ने ने कहा कि सती का अगला जन्म हिमांचल कि पुत्री पार्वती के रूप में हुआ। नारद मुनि कि प्रेरणा से उन्होंने घोर तप किया। कई वर्षो के घोर तप से उनकी मनोकामना पूर्ण हुई। भगवान शंकर ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। 

शिव विवाह में बारात का कथा व्यास ने बड़ा मनोरंजक व्यख्यान किया। आचार्य जी कहते हैं की पत्नी के लिए पति का हित ही अपना हित है।  पत्नी को चाहिए की पति के सुख दुख में सदैव समान रूप से साथ रहे. पति के द्वारा मिली व्यवस्था को ही पूर्ण माने। पर्वत पर निवास करने वाले शिव के साथ पार्वती जी ख़ुशी पूर्वक रहती हैं। स्त्रियां पति अच्छा पाने के लिए शिव पार्वती का पूजन तो करती हैं किन्तु पार्वती की तरह त्याग समर्पण नहीं सीखती यही कारण है की जप तप के बाद भी दुखी रहती हैं। व्यास जी ने अधिक मास के महत्व का वर्णन किया। 

उन्होंने कहा ये बड़े ही संयोग और सौभाग्य की बात है की शिव प्रिय 2 मास इस बार एक साथ हैं। ऐसे माह में किया गया जप तप ध्यान पूजन कई गुना फल देने वाला व सर्व मंगल करने वाला है। कथा में डॉ0 केशव दत्त पाण्डेय, लक्ष्मी नारायण पाण्डेय, हरिश्याम, आद्या स्वरूप पाण्डेय, भानु प्रताप, तरुणचंद्र, हेमराज, डॉ0 रमेश पाण्डेय,अभयनारायण मिश्र, मोनू पंडित आदि शामिल रहे।