मेरे सपने में चुंबन देव प्रकट हुए। मैंने उनसे देशकाल के बारे में बातचीत करते हुए कहने लगा - हे चुंबन देव! आपसे प्रार्थना है कि आप चुंबन का महत्व बताते हुए उड़न चुंबन पर विशेष प्रकाश डालें। चुंबन देव बोले – उड़न चुंबन! न बाबा न। जान है तो जहान है का मंत्र जाप करते हुए कर में माला लिए मन को दस दिशाओं में घुमा रहा हूँ। लोगों को यह समझाने का प्रयास कर रहा हूँ कि तुम जो चाहे और जैसे चाहे चुम्मा दे देना और ले लेना लेकिन उड़न चुंबन के बारे में कतई मत सोचना।
बाकी चुंबन में असली वाली फीलिंग होती है, जबकि उड़न चुंबन में न अहसास होता है और न कोई सुख। हाँ उल्टे लतियाने और विवादों में फंसने की संभावना बढ़ जाती है। चुंबन देव ने विनम्रतापूर्वक मना किया। आगे कहना जारी रखा - "ये मुझसे नहीं हो पायेगा। लिप टु लिप किस का वर्णन किया जा सकता है, फ्रेंच किस की अनुभूति कराई जा सकती है पर उड़न वाले चुंबन पर प्रकाश डालना तो दूर टॉर्च लाइट छूने भर की हिम्मत भी नहीं की जा सकती।"
"पर मैंने तो सुना है कि चुंबनदेव हर तरह के चुम्मे का वर्णन कर सकते हैं-- भगवन अंग्रेजी फिल्मों में तो चुम्मे के सीन ऐसे दिखाए जाते हैं जैसे उसके बिना फिल्म बन ही नहीं सकती। ऐसे में आपको उड़न चुंबन के बारे में बताने में आपको क्या आपत्ति है?"
"देखो बेटा! जब फिल्म वालों के पास कोई कहानी नहीं होती तब चुम्मों का इस्तेमाल मसाले के तौर पर करते हैं। यही मसाले आगे चलकर पूरी मूवी रूपी सब्जी पर भारी पड़ते हैं। लोगों का क्या है वे पूरी फिल्म देखने के लिए थोड़ी न आते हैं। वे आते हैं इसी तरह के दो-चार चुम्मे वाले दृश्य देखने के लिए।" – चुंबन देव ने मुझे टालने के अंदाज में कहा।
"वाह! क्या बात कही आपने"- मैं हाथ जोड़ते हुए चुंबनदेव की प्रशंसा करने लगा। आगे कहा - "पूरे देश में उड़न चुम्मे का समाचार प्रमुखता से छापा और दिखाया जा रहा है, क्या चक्कर है ये"
"देखो बच्चा इस उड़न चुम्मे ने बड़े-बड़े मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। फलानी जगह पर औरतें नंगी घुमाई जाएँ कोई बात नहीं, जिंदा जलाई जाएँ कोई बात नहीं, सामूहिक बलात्कार किए जाएँ कोई आपत्ति नहीं, किंतु उड़न चुम्मे पर घोर आपत्ति जतानी चाहिए। इसलिए कि बाकी सब तो इस देश में पहले से होता आ रहा है।
उड़न चुम्मा हमारे लिए कतई बर्दाश्त नहीं, क्योंकि वह विदेशी है। हाँ यह अलग बात है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला किसी भी तरह की हरकत करने की छूट रखता है। स्टेडियम में बैठकर गंदे-गंदे इशारे भी करे तो उसे पवित्र समझना चाहिए। फलाना सत्ताधारी नेता जी जनता के बीच एक साथ सबको उड़न चुम्मा दे दें तो उसे ईश्वरीय प्रसाद समझना चाहिए। अपने करें तो उसे पुण्य और दूसरे करें तो पाप समझना चाहिए।
विरोधी नंगी, बलात्कार होती और जलती लड़कियों के बहाने सत्तापक्ष पर लाख वार करें उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें फर्क पड़ता है तो विरोधियों के उड़न चुम्मों से। यद्यपि बेशरम नेता गण और उनके वंशोद्धारक पुत्र बलात्कार और भ्रष्टाचार में लिप्त होकर एक बार सत्तापक्ष के वाशिंग मशीन में धुलकर बाहर आ जाएँ तो उनके सारे पाप माफ़ हो जाते हैं। यहाँ सब कुछ करने की छूट है बशर्ते कि आप विपक्ष में नहीं सत्ता पक्ष में हों।"
"भगवन, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं। ये वही लोग हैं जो चुम्मे के नाम पर धरती अंबर एक कर देते हैं। मजाल जो कोई इनके सामने नंगा होकर, बलात्कार का शिकार होकर या फिर जल-जलाकर इनकी मौनी तपस्या तोड़ पाए।"
"यही तो कहना चाहता हूँ बच्चा! सारे मुद्दे फीके पड़ गए और मीडिया, अखबार चुम्मे के पीछे पड़ गए। ये लोग ठीक उसी तरह के होते हैं जो सड़क किनारे तीन डिब्बों का खेल खेलते हैं। एक डिब्बे में फलाना राज्य के बलात्कार के मुद्दे होंगे, दूसरे डिब्बे में लूटपाट-हत्यओं के मुद्दे होंगे और तीसरे डिब्बे में चुम्मे का मुद्दा। इसे आँखों का धोखा कहिए या फिर सामने वाले की कलाकारी कि हर बार चुम्मे वाला मुद्दा ही निकलकर आ जाता है। आखिरकार हजार बार दिखाया गया चुम्मा बलात्कार और लूटपाट की तुलना में भारी पड़ जाता है।"
डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’, मो. नं. 73 8657 8657