माता-पिता में ही गुरु समाया है

माता-पिता में ही गुरु समाया है

हजारों पुण्य फल माता-पिता सेवा में समाया है

सारे तीरथ बार बार के तुल्य 

माता पिता की सेवा एक बार है 


माता-पिता हर घर की शान है 

उनके बिना सब बेकार है 

माता पिता है तो समाज में नाम है 

हमारे लिए वह इंसान नहीं ईश्वर अल्लाह है


माता-पिता से ही मेरी पहचान है 

दुनिया में बस यह दोनों ही महान है 

नहीं चाहिए मुझे कुछ यह मेरे सब कुछ है 

मैं उनसे वह मुझसे बहुत खुश हैं 


जानवर से बदतर है जिसने किया 

माता-पिता का अपमान है 

किस्मत वाले हैं जिनके ऊपर 

अभी माता-पिता दृष्टि मान है 


माता पिता मेरे ईश्वर अल्लाह है

यही जमीन मेरी और आसमान हैं 

वह खुदा मेंरे और भगवान हैं 

माता पिता के चरणों में सारा जहान है


ईश्वर अल्लाह से विनती मेरी है 

माता पिता के साथ स्थिर रखना मेरे पल 

समय का चक्र घूमता है पर कर दो अचल 

माता पिता के चरणों में रखना ना भटकूं आज ना कल 


लेखक- कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र