न जाती है कोई, न है धर्म।
हम हैं हिंदुस्तानी और दूजा कोई भी नहीं है कर्म।
हमारा कर्म हमारा धर्म है।
हमारे स्वाभिमान और बलिदान से हिंदुस्तान की मिट्टी आज भी ज़िंदा है।
घर पर तुम खुशियों के दीप जलाते हो,
हम यहाँ तुम्हारे सुरक्षा के लिए अपनी लाशें बिछाये हुए तैनात खड़े हैं।
ये मत सोचना घर छोड़कर बर्फ के निचे रहना आसान है,
पत्थर का सीना रखकर हम तुम्हारे लिए लड़ते हैं।
पूरा जग त्यौहार मनाता रहा होता है,
हम अपने देश के लिए लहू -लुहान होते रहते हैं।
हमारी त्याग की कहानी सदैव अमर रहेगी।
शहीद होने पर,
मेरा कफ़न, मेरे देश, मेरे भारतमाता को अर्पण की जाएगी,
मेरे भारतमाता को मेरा सत -सत नमन।
मेरा देश महान है, मेरा हिंदुस्तान एक है।
जय हिंद।।
~ जानभी चौधुरी
बालेश्वर, ओड़िशा।