370 पर सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन की सुनवाई, कपिल सिब्बल की दलील-आर्टिकल 370 को छेड़ा नहीं जा सकता, ये संविधान में स्थायी

नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन की सुनवाई हो रही है। सुनवाई करने वाले पांच जजों में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस के कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि आर्टिकल 370 को छेड़ा नहीं जा सकता है। इसके जवाब में जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस आर्टिकल का सेक्शन (सी) ऐसा नहीं कहता। इसके बाद सिब्बल ने कहा, मैं आपको दिखा सकता हूं कि आर्टिकल 370 स्थायी है।

 आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट में 3 साल बाद सुनवाई हो रही है। इससे पहले, 2020 में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। तब अदालत ने कहा था कि हम मामला बड़ी संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। इस पर जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा था कि संविधान के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर से 370 को कभी हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि आर्टिकल 370 के मुताबिक, संसद सिर्फ राज्य सरकार के परामर्श से जम्मू-कश्मीर के लिए कानून बना सकती है।

 370 को निरस्त करने की शक्ति हमेशा जम्मू-कश्मीर विधायिका के पास है।सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि पहले 370 अस्थायी था, लेकिन जब 1950 में संविधान सभा भंग हुई, तो ये अपने आप स्थायी आर्टिकल बन गया। अगर इसे हटाना है तो संविधान सभा की इजाजत लेनी होगी, लेकिन वो अब है ही नहीं, ऐसे में इसको हटाया नहीं जा सकता है। इस मामले को लेकर आखिरी सुनवाई 11 जुलाई को हुई थी। 

इससे एक दिन पहले 10 जुलाई को केंद्र ने इस मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था। केंद्र ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर 3 दशकों तक आतंकवाद झेलता रहा। इसे खत्म करने का एक ही रास्ता था आर्टिकल 370 हटाना। याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व कर रहे सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने आखिरी सुनवाई के दौरान कहा था कि दो याचिकाकर्ता आईएएस शाह फैसल और शेहला राशिद शोरा ने याचिका वापस लेने के लिए अपील की है।

इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर कोई याचिकाकर्ता अपना नाम वापस लेना चाहता है तो उन्हें कोई कठिनाई नहीं है। इसके बाद बेंच ने नाम वापसी की अनुमति दे दी। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। अक्टूबर 2020 से संविधान पीठ ही इस मामले की सुनवाई कर रही है।