नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को अमीर देशों के नेतृत्व में ठोस वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया ताकि कर्ज के बोझ तले दबे देशों की मदद की ऐसे समय में मदद की जा सके जब बहुपक्षवाद सबसे बड़ी चुनौती है। वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की ओर से मुंबई में आयोजित जी-20 सत्र को ऑनलाइन संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि बहुपक्षवाद हाल के वर्षों में सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। हमने हाल के वर्षों में इतनी बड़ी चुनौतियां नहीं देखी हैं।
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली ने अब तक यह सुनिश्चित किया है कि भू-राजनीतिक मतभेद अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जगह न लें जो जी-20 समूह और शिखर सम्मेलन का मुख्य जनादेश है। जी-20 की भारतीय अध्यक्षता ने वैश्विक ऋण कमजोरियों के प्रबंधन पर बहुत महत्व दिया है जिसका सामना आज कई राष्ट्र कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय सहयोग करे और कर्ज के दबाव और कमजोरियों का सामना कर रहे कम आय वाले और कमजोर मध्यम आय वाले देशों के लिए ऋण पुनर्गठन प्रयासों में समन्वय के लिए मजबूत तरीके खोजे।
सभी के लिए भविष्य बेहतर हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयासों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा जी-20 एजेंडा में एक साझा सूत्र सभी के लिए बेहतर कल की तैयारी करना है। भारत की जी-20 अध्यक्षता के कार्यकाल के दौरान नई दिल्ली ने अब तक यह सुनिश्चित किया है कि सभी आर्थिक मुद्दों पर आम सहमति बने खासकर कर्ज के बोझ का समाधान खोजने में जिसका सामना आज कई मध्यम आय वाले देश कर रहे हैं।
बहुपक्षीय ऋण एजेंसियों के सामने आने वाली बहुपक्षवाद की चुनौतियों से उत्पन्न दिक्कतों का समाधान करने के लिए एक और सतत प्रयास किया गया है। जी-20 ने गरीब देशों के कर्ज की समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है।