मणिपुर के बिष्णुपुर में हिंसक झड़प, 20 महिलाएं घायल, मैतेई समुदाय ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया, जवाब में असम राइफल्स ने हवाई फायरिंग की

इंफाल : मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसा को आज तीन महीने पूरे हो गए। बिष्णुपुर जिले में गुरुवार को सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई। स्थिति को संभालने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े। जिसमें 20 महिलाएं घायल हो गईं। दरअसल, गुरुवार सुबह करीब 11 बजे बिष्णुपुर में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने बफर जोन को पार करने का प्रयास किया। असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस पर महिलाएं सुरक्षाबलों पर पथराव करने लगीं।

भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े। झड़प के बाद इंफाल और पश्चिमी इंफाल में कर्फ्यू में दी गई ढील वापस ले ली गई है। बुधवार रात एक अफवाह फैली थी कि कुछ कुकी-जो लोगों के शव दफनाने के लिए बाहर ले जाए जा सकते हैं। इसके बाद इंफाल में रीजनल आयुर्विज्ञान संस्थान और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान दो अस्पतालों के पास भीड़ जमा हो गई। हालांकि पुलिस भीड़ को शांत करने में कामयाब रही। रात 10 बजे तक कोई घटना नहीं हुई।

इंफाल के इन दोनों अस्पतालों की मॉर्च्युरी में ही इंफाल घाटी में जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के कई शव रखे हुए हैं। किसी भी हिंसा को रोकने के लिए यहां असम राइफल्स, रैपिड एक्शन फोर्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं। इंफाल में अपुम्बा तेन्बांग लुप, पात्सोई विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं ने 26 दिन बाद 2 किशोरों का पता नहीं लगा पाने के विरोध में प्रदर्शन किया।

 3 मई को हिंसा फैलने के बाद से राज्य में दो पत्रकारों और दो किशोरों समेत 27 लोग लापता हैं। मोरेह से सुरक्षा बल हटाने को लेकर गुरुवार को 12 घंटे का कंग्पोक्पी बंद रहेगा। 3 मई को मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ओबीसी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था। जिसके बाद वहां जातीय संघर्ष भड़क उठा। तब से लेकर अब तक वहां 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

मणिपुर मामले पर सोमवार (31 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने कहा था कि हमारे लिए समय खत्म होता जा रहा है। राज्य में हालात सुधारने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर मसलों के लिए एक मैकेनिज्म बनाना होगा। हम नहीं चाहते कि मणिपुर पुलिस ऐसे मामले संभाले।