प्रेम संदेशा

प्रेम संदेशा कैसे लिख दूं,

कैसे वह संदेशा कह दू।

मैं हूं एक मरुस्थल का टुकड़ा,

मेघदूत में किसे बनाऊं।

कैसे अपनी व्यथा सुनाऊं,

प्रेम संदेशा कैसे लिख दूं।

किसके पंखों पर भेज लिखूं संदेशा

कैसे भेजूं  अपने दिल का अंदेशा।

कलम मेरी कुछ कहना चाहती,

भावों में वह बहना चाहती।

ना आंसू ना मोती लुटाती,

अपनी सारी व्यथा सुनाती।

कोई तो मुझे दिखला दो,

प्रेम संदेशा उन्हें पहुंचा दो।

खड़े हैं विकल राहों में उनकी,

नैन तेरे से दर्श को उनके।

कोई मेरा हाल बता दे,

मेरे पी को संदेशा पहुंचा दे।


       रचनाकार ✍️

       मधु अरोरा