चिकोटी September 10, 2022 • कामगार पोस्ट सूख रही है नदी भी,सूख चुके हैं कूप।पत्थर का लखकर महल,मगन हो रहे भूप।कटोरे खुश सिक्के पा।- धीरु भाई