मेंरे हिंदुस्तान की कथा सुनाऊं आज,
नाम पड़ा था हिंदुस्तान, मानव भूल गया....
मैं हिंदी सहज, सरल सी हिंदी
कैद मानव हो गया, आज विदेशी भाषा मे
गिट पिट जो बस कर सके,वो बड़ा इतराये
मैं हिंदी सहज सरल सी हिंदी
गौरव गाथा है चहुं ओर, मिलता है सम्मान
संस्कृत से ही जन्मी हूँ , पा लो मेरा ज्ञान
मैं हिंदी सहज सरल सी हिंदी.
भारतीय मूल की है पहचान, बिंदी से मैं सजी
हिंदी सबको प्यारी है, आज करो उद्घोष
मैं हिंदी सहज सरल सी हिंदी
हर गुलामी को तजो, वो चाहे भाषा की हो,
वर्ण, छंद से ओत प्रोत, क्यों नही बोलो हिंदी,
मैं हिंदी सहज सरल सी हिंदी
आज प्रतिज्ञा मिलके करे, विश्व गुरु बने देश,
हिंदुस्तान मेरे देश मे , राष्ट्र भाषा बने हिंदी
मैं हिंदी सहज सरल सी हिंदी
स्वरचित
भगवती सक्सेना गौड़
बैंगलोर