"आशा का दीप"

कल को बेहतर बनाने के लिए, 

मन की कुछ करने का कार्य। 

एक दीपक आशा का जला कर, 

मन में ऊर्जा भरना होगा। 

 

जो अधूरी ख्वाहिशें पड़ी है बंद, 

जो रूठे हुए है कुछ अपने।

एक दीपक आशा का जला कर, 

ईन सब को को जीतना होगा। 

 

यदि सभी दरवाजे बंद मिले, 

उम्मीदों पर लगा हो सख्त पहरा। 

एक दीपक आशा का जला कर, 

पथ आलोकित करना होगा। 


जिंदगी रुलाती है दर्द देती है अगर, 

अवरोध हटाकर हिम्मत बना कर। 

हँसते हुए हज़ारों बाधाएँ पार करके, 

आगे बढ़ना दीप जलाकर आशा का। 

 

अंधेरी रात घिरी ना उम्मींद बाकी, 

तब कोई किरण सबेरे आकर। 

मजबूत इरादे दे जाएगी हौंसले की, 

फिर स्वर्णिम एक बेहतर कल होगा, 


पथरीले रास्ते भी हरे भरे होंगे, 

सूखे ग्रसित इलाके बारिश के संग। 

झूम रहे होंगे पेड़ हर जगह हरियाली, 

पँछी चहकेंगे उम्मींद का दीप जला कर। 


गरीबो के पेट भरेंगे मिलेगा अन्न जल,

जो बिना छत के पड़े राहों में अक्सर।

उन्हें भी मिलेगा मकान अपना,

बस एक आशा का दीप जलाये रखना। 


स्वरचित और मौलिक रचना 

पूजा गुप्ता मिर्जापुर उत्तर प्रदेश