वह जमाने बीत गये जब कोई त्यौहार या रीतिरिवाज किसी विशेष राज्य या क्षेत्र के हुआ करते थे। भारत के बाहर ऐसे विभिन्न देश मिल जायेंगे जहां हमको ऐसा महसूस ही नहीं होता बल्कि प्रत्यक्ष रूप से ऐसा परिलक्षित होता है कि भारत के बाहर भी एक भारत बसता है। आज हम विदेश की नहीं स्वदेश की चर्चा करेंगे।
विविधता प्रधान हमारा देश संसार में एक मात्र ऐसा देश है जहां इतनी सारी संस्कृतियां, धर्म,भाषाएं और धार्मिक रीतिरिवाजों के साथ ही त्यौहार हैं कि आज की व्यस्त दिनचर्या के कारण हम उन त्यौहारों को ठीक से मना नहीं पाते हैं। हमारे यहां इतने तरह के व्यंजन होते हैं कि सभी तरह के व्यंजनों की व्यवस्था हमारी रसोई में समय और अन्य कारणों से कर पाना अक्सर संभव नहीं हो पाता है।
यही कारण है कि त्यौहार अपना स्वभाविक स्वरूप खोते जा रहे हैं। कुछ त्यौहार कुछ विशेष क्षेत्र वर्ग के होते हैं जिनके बारे में हम सामाजिक माध्यम पर पढ़ते देखते अथवा सुनते हैं। हर राज्य की अपनी विशेषता है लेकिन केरल राज्य अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ ही मसालों के लिये भी विश्व विख्यात है और साक्षरता के मामले में तो मिसाल बन गया है। यहां शत प्रतिशत साक्षरता दर है। ऐसे साक्षर और संस्कृति सम्पन्न राज्य केरल का ओणम पर्व मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में विशेष रूप से होटल पलाश रेसीडेंसी के साउर्थन स्पाईस रेस्टोरेंट में आज 08 सितंबर 2022 को परंपरागत तरीके से मनाया गया। साज सज्जा उत्तम दर्जे की थी।
जिसमें ताजे फूलों का समावेश होने के कारण उसकी तथा विभिन्न भोज्य पदार्थों की सुगंध नें जहां वातावरण को तो महकाया ही साथ ही खाने के प्रति आकर्षण भी पैदा करा। 20 से अधिक खाने के आयटम के साथ परंपरागत पेय में फिल्टर कॉफी के साथ ही मठा जिसे छाछ भी कहा जाता है। विशेष रूप से मठा प्रोफेसर शशिकला एवं अनीत सोनी जी को बहुत पसंद आया।यहां की साज सज्जा नें इनका मन मोह लिया। डॉ. अपूर्व निगम नें कहा साउर्थन स्पाईस रेस्टोरेंट में ओणम पर्व के लिये बनाये गये व्यंजन स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम हैं।
इनमें बहुत अधिक मिर्च मसाला नहीं है साथ ही केले के पत्ते पर परोसा गया भोजन यह अहसास करा रहा है कि हम केरल में ही हैं। सजावट पूर्ण रूप से केरल में होने का अहसास कराती वास्तव में वेल्यू फॉर मनी है। इन्हीं के साथ इनके पारिवारिक मित्र डॉ अपूर्व लोया और उनकी श्रीमती डॉ. मिताली लोया जो कि हर पन्द्रह दिन में यहां जरूर आते हैं दक्षिण भारतीय भोजन ग्रहण करने के लिये। इन्होनें कहा स्वास्थ्य इनकी पहली प्राथमिकता है और साफ-सुथरे तथा शांत वातावरण में यहां अच्छा भोजन मिल जाता है।
इन्हें यहां घर के बने भोजन का अहसास होता है। तनु, आदि और निवि को प्रवेश द्वार पर केरल की वेशभूषा में मुस्कुराकर स्वागत करने के साथ ही आग्रह पूर्वक भोजन परोसा जाना बहुत अच्छा लगा। तन्वी जी ने कहा यहां मुझे घर जैसा महसूस हो रहा है। लग रहा है कैरल में ही हूं मैं। केरल के परंपरागत खाद्य पदार्थ मुझे प्रभावित करते हैं। डॉ. सोनल धोटे रातीबड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मुख्य चिकित्सा अधिकारी इन्होनें तो यहां आने के लिये विशेष रूप से छुट्टी ली।
इनका कहना है कि ओणम पर्व मनाने के लिए केरल जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी जब यहीं इतना शानदार ओणम पर्व मनाने का मौका मिला है। तो मैं इसे यहीं मना रही हूं। डॉ. माधवी वाकोडे आर्युवेद पंचकर्म विशेषज्ञ नें कहा कि भोजन में सम्पूर्ण आहार रस जो कि आर्युवेद से संबंधित है यही इस भोजन की विशेषता है। ओणम पर्व पर परोसे गये व्यंजन की इस थाली को आर्युवेद के नजरिये से विस्तार से हम डॉ. माधवी वाकोडे जी की नजर से अगले अंक में पढ़ेंगे।
यहां विभिन्न पेशों से सम्बंधित लोग कुछ समूह में तो कुछ अकेले या परिवार के साथ आये थे। लेकिन चिकित्सकीय पेशे से जुड़े चिकित्सक कुछ अधिक ही आये। इनका यहां बार-बार तथा लगातार आना निश्चित रूप से यह दर्शाता है कि शुद्धता तथा पौष्टिकता का यहां ख्याल रखा जाता है। अनामिका कुमार जी अपनी मित्र मंडली के साथ ओणम पर्व मनाने के लिये केरला साड़ी पहन कर आईं थी। विशेष रूप से इस दिन के लिये इन्होनें अपनी सहेलियों के साथ मिलकर केरला साड़ी का चुनाव करा।
यहां हमने देखा कि आने वाली अधिकांश महिलाओं नें केरल की वेशभूषा धारण कर रखी थी। लग रहा था आज तो सम्पूर्ण केरल भोपाल में ही आ गया है। यहां के लोग भी बहुत खूब हैं ओणम के माध्यम से केरल का दर्शन और प्रदर्शन करने की कला को बखूबी बड़े शालीन और सुन्दर तरीके से प्रदर्शित कर दिया। निश्चित तौर पर इसका श्रेय मध्य प्रदेश टूरिज्म भोपाल स्थित होटल पलाश रेसीडेंसी के साउर्थन स्पाईस रेस्टोरेंट की मैनेजर आर उमारानी तथा उनके अपने कार्य में दक्ष कुशल एवं प्रशिक्षित स्टॉफ को जाता है।
किसी भी आयोजन की सफलता के पीछे बहुत सारे कारक कार्य करते हैं। यदि उच्च अधिकारियों का सहयोग ना मिले तो कार्य की सफलता में सन्देह होना स्वाभाविक होता है। होटल पलाश के जनरल मैनेजर अजय श्रीवास्तव जी का सहयोग तथा मार्गदर्शन के साथ ही वहां आये हुए लोगों से बातचीत कर उनके सुझाव जानकर उन्हें सकारात्मक तरीके से लेते हुए व्यवस्थाओं पर स्वयं निगरानी रखना कार्यक्रम की सफलता के लिये उच्च पायदान पर जाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
म .प्र . टूरिज्म भोपाल, होटल पलाश रेसीडेंसी के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री एस . विश्वनाथन जी नें इस विषय में हमारे समाचार पत्र को विस्तार से बताया। उन्होनें कहा एम.पी.टी का मुख्य उद्देश्य था कि यहां परम्परागत दक्षिण भारतीय रेस्टारेंट की स्थापना करना।
लोग यह जानते हैं कि यहां बनने वाले भोज्य पदार्थों की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है। लोगों का रुझान इस और बहुत है। भोपाल में इस तरह की जगह की काफी लम्बे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी। जिसे पलाश के साउर्थन स्पाईस रेस्टोरेंट नें पूरा करा। हमारे यहां रिपीट कस्टमर बहुत ज्यादा आ रहें हैं। इसका अर्थ है कि सन्तुष्टि का लेवल ठीक ठाक है।
माउथ पब्लिसिटी के कारण अच्छा रेस्पांस मिल रहा है। धीरे-धीरे हम इसके मैन्यू में और भी व्यंजन शामिल करेंगे। भविष्य में हम इन्दौर, उज्जैन,जबलपुर आदि शहरों में स्थायी तौर पर रेस्टोरेंट की श्रृंखला शुरू करेंगे। किसी भी कार्य की सफलता के पीछे सम्पूर्ण तन्त्र का शत प्रतिशत योगदान होना अत्यंत आवश्यक है। और यही सफल होने की कुंजी है। पलाश की अगली श्रृंखला में हम फिर मिलते हैं किसी विशेष आयोजन या विशेष कार्य के निमित्त तब तक आपकी अपनी दोस्त रमा निगम के साथ यूं ही बने रहिये।
रमा निगम वरिष्ठ साहित्यकार
ramamedia15@gmail.com