रखना मान तिरंगे का

चंद दिनों की खुशियां देकर

फिर चल देते हो आप पिया

अपना फ़र्ज़ निभाने खातिर

आपने सबको पीछे छोड़ दिया

नयनोंसे बहती अश्रु धारा को

पलकें बंद कर छिपा जाती हूं

उदासी आपको छू भी ना पाए

लबों पर मुस्कान सजा लेती हूं

कोख में पलता बच्चा कहता 

पापा जाने फिर कब आओगे

जब मैं खोलूं अपनी नन्हीं आंखें

क्या देख आपको मैं पाऊंगा

सीमा पर डटकर पापा आप

 दांत शत्रुओं के खट्टे करना

दुश्मन का सीना छलनी करके

आप मान तिरंगे का रखना

बांधकर रखते सर पे कफ़न

सीमा की करते हो रखवाली

गर्व करें आप पर बेटा- बेटी

सुरक्षित अपने देश को रखना

मैं अपलक उसे निहारती सदा 

जिस पथ से आप गये पिया

सम्मान देश का बढ़ाकर आप

परिवार से मिलने आना पिया


स्वरचित एवं मौलिक

अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश