हरदम देना साथ (मरहठा छंद )

जब सावन आता, सच्चा नाता, उमड़े बहना प्यार |

भाई बँधवाये, मन हर्षाये, प्रेम जगत का सार ||

थाल सजाये,तिलक लगाए, राखी बाँधे हाथ |

ये रिश्ता न्यारा, भाई प्यारा, देता हरदम साथ ||


ये रेशम डोरी, प्रीत घनेरी,रक्षा करना  धर्म |

है सबसे प्यारा,भैया मेरा, जाने अपना कर्म ||

हित उसका जाने, बहना  माने, अनुपम ये त्यौहार |

जब राखी आये, उर हर्षाये, जाने ये संसार ||


है बना सहारा, भैया प्यारा, रखता बहना ध्यान |

मन मंगल चाहे, मेरी राहें, करता है आसान ||

मैं करती वंदन, मन अभिनंदन, सदा रहे ये साथ |

मन सच्चा नाता,कष्ट मिटाता, रखता स्नेहिल हाथ ||


शुभ रक्षा बन्धन, प्रभु से वंदन, करती मैं हर बार |

 भरपूर प्रेम हो ,कष्ट दूर हो,अमर रहे संसार ||

सत प्रेम समर्पण, भैया अर्पण, मेरे मन के भाव |

निज मन सुख पाए, राखी आए,रखती मन में चाव ||


नव सुख रस लेकर, मन को छूकर, आया भैया द्वार |

है पहले रक्षा, भाव सुरक्षा, मिलता नव उपहार ||

जब व्रत मैं रखती, भैया कहती, राखी बाँधी हाथ |

तुम रक्षक बनना, प्रण ये करना, देना हरदम साथ ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ