त्रिवर्ण ध्वज...

तेरी शान में जान भी

कुर्बान हो जाएं तो 

क्या फर्क पड़ता है??

हे!मेरे वतन 

हर धड़कन में तू बसता है।


स्वतन्त्रता के आड़ में

हुकूमत परतंत्रता की

अब ना सेह पाएंगे

तेरे हाथों में हे मां!

स्वतंत्रता का तिरंगा लहराते रहेंगे।


तेरी सेवा के लिए तेरे लाल

हमेशा तैयार है,

तेरी एक पुकार पर 

वो मेरी मां!

सौ जन्म भी कुर्बान है।


ऊंचाई पर शान से है 

तिरंगा लहरा रहा 

देखो यारों आंखों की 

बेहतरीन किस्मत से

दिल भी गद गद होकर 

खुशी से है झूम रहा ।


शहीदों की शहादत 

 भी क्या खूब रंग लायी हैं,

लिपट कर तिरंगे में

 उनकी किस्मत भी 

गर्व से सीना ताने चली है।


लहरा रहा त्रिवर्ण ध्वज

भारत की आन बान शान लिए

तीन रंगों में सजता भारतवर्ष

विभिन्नता में एकता का

 नारा बुलंद करते हुए।


चौथा रंग बांधता एक बंध से 

भारत के भावनाओं की डोर से 

संविधान का प्रतिक यह नीला रंग

पानी जीतना निर्मल है इसके कर्म।


चौबीस रेखाओं का अशोक चक्र

 वीरता का बना यह प्रतिक चिन्ह

एक ही सूत्र में बांधा है इसने 

भारतवर्ष के धड़कनों की किस्मत ।



Deepali Mirekar

 vijayapura karantaka