नटखट कृष्ण कन्हैया

नटखट कृष्ण कन्हैया

गोपी संग रासरचैया ।

मधुर बांसुरी की धुन में,

सब साथी नाचे भैया।


ठाकुरजी की धुन में,

हर्षाये सारी गैया ।

कुंज वनन  में  जाके,

घुमत ग्वाले-ग्वाले ।


सांवली सूरत वाला, मोहे,

नटखट कृष्ण कन्हैया ।

भक्तों की पार लगा दे,

डोले बीच भंवर में नैया ।


सबका मन ललचावत,

माता जसोदा नंद कन्हैया ।

माखन मिश्री खावै,

काले नैनन जो मटकावै ।


मधुर बांसुरी की जब

वो तान सुनावै,

भटके संगी साथी,

गैयन संग लौट के आवै ।


मतकर ताता थैया,

सबको सबक सिखावै,

नटखट कृष्ण कन्हैया  ।


- मदन वर्मा " माणिक "

  इंदौर , मध्यप्रदेश