शान तिरंगा

शान तिरंगे में लिखता हूं अपने मन के कुछ उदगार।

आजादी के इस अमृत महोत्सव प्रकट कर रहा अपने विचार।।


ये झंडा प्रगति का द्योतक फहर फहर करता गुणगान।

इस झंडे के नीचे मिलकर गढ़ते जाएं नव निर्माण ।।


वीरों के कर्मो का सूचक शोर मचाता उनका बलिदान।

सरहद पर हुए शहिद को लिपटाकर देता सम्मान।।


तीन पट्टी से मिलकर झंडा बन जाता तिरंगा रूप।

अलग अलग पट्टी बतलाता मिलकर हीं गढ़ना है रूप।।


मान हमारा इस झंडे से इसके पीछे अर्पित ये जान।

मातृ भूमि के रक्षा के खातिर स्मार्पित रहेगा अपना प्राण।।


कलम सिपाही हैं भारत के  लिखते रहना तिरंगे का शान।

प्रगति पथ पर बढ़े भारत ये बढ़ता जाए तिरंगे का मान।।


शर्त लगाकर भारत के मिट्टी पर पल रहे कुछ गद्दार।

उल्टे सीधे हरकत करके ये छलते रहते बारंबार।।


अब ऐसे गद्दारों को दरकिनार करने की दरकार ।

देश धर्म के खातिर हमको इसे पहचानने की दरकार।।


आजादी के इस महोत्सव आओ मिलकर करें विचार।

मान तिरंगे को पहुंचाना सात समंदर के उस पार  ।।


श्री कमलेश झा भागलपुर बिहार