बच्चा-बच्चा कहता है, भारत मेरी माता है।

बच्चा-बच्चा कहता है, 

भारत मेरी माता है। 


इंसानों का आपस में, 

मिल कर रहना अच्छा है। 


इंसां की बस्ती में देखो, 

इंसां ही अब बिकता है। 


महँगी है दौलत ही यहाँ, 

ईमां लेकिन सस्ता है। 


एक शराफ़त का चोंगा, 

इंसां ने नकली पहना है। 


मैं ही सबसे सच्चा हूँ, 

फिर भी कहता रहता है। 


जैसा भी है सारा मगर, 

बाग ये मेरा अपना है। 


सैना इसकी है अद्भुत, 

काम ही इसका रक्षा है। 


टूट पड़ो दुश्मन पे सभी, 

इसका दिल ये कहता है। 


बाहर निकलो दुश्मन तुम, 

अब हमने ललकारा है। 


जाने देंगे या लेंगे, 

गर हमको उकसाया है। 


फेकेंगे तुम पे ही वो बम, 

जो हमको दिखलाया है। 


दुनिया में इकलौता है ये, 

जिससे हर कोई हारा। 


मैं भारत पर कुर्बां हूँ, 

क्योंकि दिल ये मेरा है। 


इसमें रहने का आखिर, 

हर अधिकार हमारा है। 


प्रज्ञा देवले✍️