नारी (अमृत ध्वनि छंद )

नारी ही संसार है, नारी से परिवार |

नारी गुण की खान है, नारी नेहिल द्वार ||

नारी नेहिल, नारी प्रेमिल, लोरी गाती |

झूले मेरा, सुत है तेरा, ममता पाती ||

प्रेम सिखाती, मार्ग दिखाती, माँ ही प्यारी |

 मेरी जननी, मेरी धरिणी, नेहिल नारी ||

ममता मेरी धन्य है, वो है पालनहार |

सारे जग से बोलता,मैया मेरी प्यार ||

मैया मेरी,वाणी तेरी, कितनी प्यारी |

वंदन तेरा, जीवन मेरा,प्रभु सम नारी ||

आदर करना, झोली भरना, प्रभु सम समता |

सारी दुनिया, मेरी खुशियाँ,देती ममता ||

ईश्वर देखो आज तुम, दर्शन नारी रूप |

नारी है नारायणी, जननी दिव्या रूप ||

जननी दिव्या, सुख की सेव्या,शक्ति स्वरूपा |

प्रेम निभाती, प्रेमिल पाती, दिव्य अनूपा ||

खुशियाँ लुटाना , मन हर्षाना ,  सम जगदीश्वर |

नारी शक्ति, नारी भक्ति,देखो ईश्वर ||

देती जीवन दान है, करे सृष्टि विस्तार |

करुणा करती ये सदा, जीवन देती तार ||

जीवन देती, बलायें लेती, प्यारी नारी |

नव पथ गढ़ती, पग -पग बढ़ती, सब पर भारी ||

मृदुल मंजरी, भाव रंजिनी, दुख भी लेती |

गुण की गगरी, स्नेहिल नगरी,जीवन देती ||

___________________________

कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश