क्या सच में भारत आज़ाद हुआ

है भारत स्वतंत्र हमारा ,

पुलकित नभ,स्निग्ध भू ,लगता प्यारा।

लहू शिराएँ शहीदों की, आज़ादी को जन्म दिया,

उन्मुक्त वायु हमें मिले,जीवन का बलिदान दिया।

वीरता का इतिहास स्वर्णीम भारत का ,

भगतसिंह की क्रांति तो कहीं सीख नानक का ।

शिरोधरा कितने कटे,कितना संहार हुआ,

मत भूलो देश पे कितना अत्याचार हुआ।

मिल गयी गोरों से आज़ादी लगा, नवजीवन का संचार हुआ।

किन्तु क्या सच में भारत आज़ाद हुआ?

आज भी कृषक हमारे फटे वसन में रहते हैं,

देखो जाकर गाँव हमारा,कितना दुख वो सहते हैं।

अन्नदाता होकर अन्न से दूर रह जाते हैं,

हमें तृप्त करके स्वयं भूखे सो जाते हैं।

निरक्षरता,ग़रीबी, बाल मजदूरी सब ज्यों का त्यों है,

फिर आज़ादी का दम्भ हम भरते क्यों हैं?

पुरखों के संघर्ष से मिला भारत आज़ाद हमें,

हम ना दे पाएँ अखण्ड भारत का सौगात उन्हें।

किताबों ,किस्सों,कवि की कविताओं की सुंदर गाथा बन गयी,

देशभक्ति की अमर कहानी किताबों में दब गई।

आज भी सैनिक हमारे दे रहे बलिदान,

हम लड़ रहे जात-पात और धर्म के नाम।

स्वतंत्र भारत तब स्वतंत्र कहलायेगा,

जब देश हमारा ग़रीबी मुक्त हो जाएगा।

शिक्षा की ज्योत से सर्वत्र जगमगायेगा ,

बच्चा बच्चा देशभक्ति की गाथा गायेगा।

            रीमा सिन्हा (लखनऊ)