एक दिन चुपके से ग़ायब हो जाऊँगी मैं,
लोग मुझे ढूँढेंगे, कुछ दिन मेरी चर्चा होगी।
लोग कहेंगे ठीक अच्छी थी नेक दिल थी,
लोग मेरे बारे मे, खुसुर फुसुर करेंगे और बनायेंगे कई बाते।
असलियत जैसा कुछ गढ़ेंगे पर मैं गुम हो जाऊँगी अपनी असली ज़िंदगी में,
जहाँ से फिर मैं किसी के पास ना आ सकूँ..
जहाँ से फिर कोई मुझे बुरा ना साबित ना कर पाए।
रोज पढ़ेंगे लोग मेरी कई किताबों को और विरोध करेंगे मेरी कई बातों का,
कई लोग चरित्रहीन भी कहेंगे कई लोग पागल भी कहेंगे मुझे।
कई के लिए मैं एक जीती जागती कहानी होगी, किसी के लिए मैं ही उसकी पूरी जिंदगी होगी।
पर ईन सबसे मैं कहीं दूर होगी उन्हें दूर से देख रही होगी।
कई लोगों के लिए मैं अनदेखी मोहब्बत रहूंगी,
कई लोग मुझे इजहार करके सुकून पा लेंगे।
पर मन के किसी कोने में मेरी ख्वाहिश कोई नहीं जान पाएंगे।
क्यूँकी हमारे देश के लोगों की सोंच है,
कि घर की औरते गृहलक्ष्मी होती हैं,
और प्रेमिकाएं बेहया चरित्रहीन!
ये कहकर वो मेरे मन को वो छलनी करेंगे।
लेकिन नहीं जान पाएंगे वो मेरे मन के बांकपन को भोलेपन को,
खुद से कल्पना करके गढ़ देंगे कहानी नई,
बस मुझे पढ़ते रहेंगे सभी बस यूँ ही दिल से।
पूजा गुप्ता (कवियित्री )
मिर्जापुर उत्तर प्रदेश