जयकारा लगाओ भोलेनाथ की
तुमको मुक्ति मिलेगी महापाप की
अपने मन को कर लो पवित्र सभी
दिवस मंगल ही मंगल हो आपकी
अग्निलिंग से सृष्टि रचा महादेव
धरा,नभ,रसातल निर्मित स्वमेव
श्वेत हिमशिखर में विराजे शिवा
पार्वती से परिणय किए आदिदेव
समुद्र मंथन से निकला हलाहल
कंठ में धारण किए स्याह जल
स्वर्ग से देव किए फूलों की वर्षा
रात्रि जागरण गीत संगीत सजल
कामना कर जन करते जलाभिषेक
अति आतुर भक्त करते दुग्धाभिषेक
बेल,सिंदूर,फल,धूप,धन,दीप,पान
शुद्धि,पुण्य,दीर्घायु,ज्ञान शहदाभिषेक
अति उदार कैलाशपति देता वरदान
नीलकंठ देवों के देव हैं बड़ा महान्
सूर, असूर, नर और मुनि यश गाए
त्रिदेवों में एक देव शिव धर्म सनातन
कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत)।