नई दिल्ली : उद्योगपति गौतम अडानी के बंदरगाह से लेकर सीमेंट समेत विभिन्न कारोबार से जुड़े समूह ने 'काफी ज्यादा' कर्ज लिया हुआ है। समूह द्वारा इस ऋण का उपयोग मुख्य रूप से मौजूदा के साथ-साथ नए कारोबार में आक्रामक तरीके से निवेश करने के लिए किया जा रहा है। फिच समूह की इकाई क्रेडिटसाइट्स की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह की घरेलू शेयर बाजार में छह सूचीबद्ध कंपनियां हैं और इसके समूह की कुछ संस्थाओं के पास अमेरिकी डॉलर बॉन्ड को लेकर बकाया भी है। समूह की इन छह सूचीबद्ध कंपनियों के ऊपर 2021-22 में 2,309 अरब रुपये का कर्ज था। समूह के पास उपलब्ध नकदी को निकालने के बाद शुद्ध रूप से कर्ज 1,729 अरब रुपये बैठता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति बिगड़ने पर अधिक महत्वाकांक्षी ऋण-वित्त पोषित विकास योजनाएं अंत में एक बड़े कर्ज जाल में बदल सकती हैं। संभवतः समूह की एक या एक से अधिक कंपनियों के लिए संकटपूर्ण या चूक की स्थिति पैदा हो सकती है। अडानी समूह ने पिछले कुछ साल में आक्रामक विस्तार योजना अपनाई है। इससे कर्ज और नकदी प्रवाह पर दबाव पड़ा है। अडानी समूह तेजी से नए और अलग-अलग कारोबार में कदम रख रहा है, जो अत्यधिक पूंजी गहन हैं। इससे निगरानी के स्तर पर क्रियान्वयन को लेकर जोखिम बढ़ा है।
अडानी समूह ने 1980 के दशक में जिंस कारोबारी के रूप में काम शुरू किया। बाद में खान, बंदरगाह, बिजली संयंत्र, हवाईअड्डा, डेटा सेंटर और रक्षा जैसे क्षेत्रों में कदम रखा। हाल ही में समूह ने होल्सिम की भारतीय इकाइयों का 10.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर सीमेंट क्षेत्र के साथ एल्युमिना विनिर्माण में कदम रखा।