जो भरते थे रूधिर में जोश और तूफान,
चन्द्रशेखर थे वह क्रांतिकारी महान।
मौत से आँखें मिला सदा चलते रहे वे,
आज़ादी गहना आज़ादी बनी पहचान।
उम्र चौदह हर कोड़े पर किया हिन्द गुणगान,
भारत के सच्चे सपूत आन-बान और शान।
असहयोग आंदोलन के सजग प्रणेता थे वह,
बलिदानी महान,वंदे मातरम का आह्वान।
थे आज़ाद सदा आज़ाद ही रह गये वह महान,
अंगदी,जनेऊधारी,रौबीली मूँछ थी शान।
उबाल था शोणित में अहिंसा से रहे सदा विलग,
न आये अंग्रेजों के कभी हाथ जब तक रही जान।
भारत की जवानियों के बने वह जोश महान,
शीश नवाकर करूँ सदा उनका मैं सम्मान।
सत्य,सनातन भारत के अमर बलिदानी हैं वह,
उनके अमर त्याग की हमपर है अमिट निशान।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)