देखो छायी है हरियाली |
झूला झूलो मिलकर आली ||
रिमझिम -रिमझिम बरसे पानी |
चले फुहार मधुर मस्तानी ||
देखो वसुधा खुशियाँ छायी |
वर्षा ऋतु है सबको भायी ||
पोखर झील भरे अब भैया |
नाचो सब मिल ता-था थैया ||
बगिया गाती कोयल प्यारी |
झूला झूले सखियाँ सारी ||
वसुधा में छायी खुशहाली |
आता सावन ले हरियाली ||
अम्बर में है छायी लाली |
वसुधा की देखो हरियाली |
कुहूँ कुहूँ है तान निराली |
जीवन में छाई खुशहाली ||
बिंदी चूड़ी तुम ले आना |
सावन में है पीहर जाना ||
हीना रंग चढ़ा है प्यारा |
लगता सब कुछ न्यारा -न्यारा ||
सावन है हरियाली लाता |
सुंदर मोहक भाव जगाता ||
श्रावण पावन मास सुहाना |
गाती बूँदे मधुर तराना ||
वृक्षा रोपण तुम भी करना |
खुशियाँ आँचल सारी भरना ||
अतिशय वृक्ष लगाना प्यारे |
प्रकति के है खेल निराले ||
श्रावण में सब तीज मनाते |
शिव शंकर का सदन सजाते ||
सोलह श्रृंगार करें नारी |
उम्र दीर्घ पति मांगे सारी ||
हृदय कँवल दल बजती ताली |
पति मुख दर्शन छाये लाली ||
कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश