तेरा तो अभी इंसान बाकी है।
अभी तो संघर्ष शुरू हुआ है
तेरा अभी इम्तिहान बाकी है।
न डरना कभी न झुकना कभी
अभी तो सारा जहान बाकी है।
हौसला दिखा, और पर लगा
अभी तो तेरा अरमान बाकी है।
जो डर गया वो बिखर गया,
अभी तो स्वाभिमान बाकी है।
कब तक बेबस जिंदगी जीएगा
अभी तो तेरा सम्मान बाकी है।
कब तलक सम्मान खोते रहोगे
अभी तेरा अधिकार बाकी है।
यह तो ,अधिकार की लड़ाई है
अभी तो तेरा हुंकार बाकी है।
कमर कसना होगा भिड़ना होगा
अभी तो तेरा जोश बाकी है।
किसी के बहकावे में मत आना
अभी तो तुझमें होश बाकी है।
मत हो परेशान,मत हो हलाकान
अभी तो तेरा मंजिल बाकी है।
मत हार हौसला,मत हार हिम्मत
अभी तो तेरा साहिल बाकी है।
रचनाकार
अशोक पटेल "आशु"
तुस्मा,शिवरीनारायण
(छत्तीसगढ़)