बारिश

टप-टप करती बारिश आई ,जा रही गर्मी अभिमानी

छाता है अंधियारा गहरा ,फिर आती वर्षा सुहानी

देख मनुष्य खुश हो जाता, नाचते गाते खुशी मानता

दादुर मोर पपीहा बोले , कोयल की मीठी वाणी

झर-झर बहता है झरना, देख मनोहर दृश्य मेरा

कल-कल बहती है नदिया,देती किसानों को सुविधा

मेघ आते बन ठन के ,दूर कही मेंढक टर्राता

रिमझिम रिमझिम बूंदे आती, वर्षा की सोगांते लाती 


बाग बगीचे भी खिल उठते धरती मां फुली न समाती

चारो ओर छा जाती हरियाली ढेरो खुशियां तू फैलाती

गरम पकोड़ी मिलकर खाते गरम चाय की चुस्की लगाते

सारे गम को भूल है जाते बारिश का हम लिफ्ट उठाते 


बिन मौसम तू आती जाती

किसानों की मेहनत पानी में जाती

खड़ी फसल पे ओले गिराती

बिन मौसम बरसात क्यू है आती 


आती तू जब लाती मंद हवाएं साथ है 

टूट जाते अरमान सभी रहता बिजली का अकाल है

देखती ना वक्त बरसती बेवक्त यहां 

कही लाती तूफान तो कही लाती सुनामी है 

संसार उजाड़ देती है सबका यही तेरी निशानी है 

इंतजार अब ये रहता है बारिश तू कब जाएगी...... 


राजेश्वरी बालोटिया

उपनाम - बेताब कलम

चित्तौड़गढ़,राजस्थान

ईमेल - rajeshwaribalotiya50@gmail.com