हृदय पुकारे राम, आस मन में अब लागी |
आप उतारे पार,हुआ मन है अनुरागी ||
ईश जगत के नाथ,भजन सब करते सारे |
मिला सहारा आज,मनुज मन के रखवारे ||
दर्शन देंगे आप जब, होगा बेड़ा पार है |
सदा उबारे आप ही,किया बड़ा उपकार है ||
ईश्वर तारणहार, विधाता उनको कहते |
होना भव से पार,राम को जपते रहते ||
देखो सब में ईश,दर्श हरि देते मेरे |
भेद भाव हो दूर,ज्ञान मन भरते तेरे ||
अमर नाम लेकर हुए, कितने अधमी है तरे |
दिया सहारा आपने, राम राम भजते मरे ||
बाँटों सबको प्यार, मिला है जीवन प्यारा |
जपना राधे श्याम,करो तुम काम निराला ||
बहती गंगा धार, पुण्य सब सिंचित करना |
होंगे भव से पार, याद नित तुम अब रखना ||
करो सहारा राम का, भजकर उनके नाम को |
भूलो सब संताप अब, रसना रट मन श्याम को ||
नैन झरोखा खोल, विधाता खेल निराला |
राम नाम अनमोल, भजन कर मन से प्यारा |
चुनो सत्य की राह,कलुष मन दूर भगाना |
ह्रदय जीत ले आज,ज्ञान का दीप जलाना ||
दर्शन देंगे राम जी , जाना गंगा पार है |
ध्यान धरो अब प्रेम से,देंगे भव से तार है ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश