काश कि.....

मेरी कविताएं पढ़कर

कुछ लोग पूछते हैं।

कौन है जिसे याद कर

यूँ शब्दों को गढ़ती हो।

जलती हो किसकी याद में

नयन भिगोने वाले

विरह गीत रचती हो।

कोई तो होगा कही

जिसकी चाहत में

कविताएँ लिखती हो।

मैं हँसी

मुस्कराई

फिर मुस्कराई

और

बोली कि

काश कोई तो होता.......।

 गरिमा राकेश 'गर्विता'