ममता (रोला छंद )

ममता   देती  प्यार , वही   है  जीवन   दाता |

रखती मेरा ध्यान, लाल की हैभाग्य विधाता ||

मैं   भी  करती   जाप, वही   है   मेरी  आशा |

करती  इच्छा  पूर्ण , पढ़े   है  मन  की भाषा ||

रहता अंतस  प्रेम, ह्रदय  में  बसती  ममता |

सकल जगत  का मूल, करे ना कोई समता ||

लोरी  मीठी  तान, अधर  में  बसती  उसके |

आँचल मिलती छाँव, सुखद है मनमें सबके ||

बढ़ता रहता  नेह, प्यार  का  माँ है सागर |

ममता है अनमोल, कृपा  की है वो गागर ||

सुखमय शीतल गेह,मिले है वत्सल छाया |

नैना  बरसत   नेह ,अनोखी  बरसे  माया ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश