ममता देती प्यार , वही है जीवन दाता |
रखती मेरा ध्यान, लाल की हैभाग्य विधाता ||
मैं भी करती जाप, वही है मेरी आशा |
करती इच्छा पूर्ण , पढ़े है मन की भाषा ||
रहता अंतस प्रेम, ह्रदय में बसती ममता |
सकल जगत का मूल, करे ना कोई समता ||
लोरी मीठी तान, अधर में बसती उसके |
आँचल मिलती छाँव, सुखद है मनमें सबके ||
बढ़ता रहता नेह, प्यार का माँ है सागर |
ममता है अनमोल, कृपा की है वो गागर ||
सुखमय शीतल गेह,मिले है वत्सल छाया |
नैना बरसत नेह ,अनोखी बरसे माया ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश