मरता कौन है

मरने वाला तो मर गया चला गया छोड़कर जहां

असल में तो वह मरा जो ज़िंदा रह गया पीछे यहां

किसी को कुछ पता नहीं कैसे वो सबका पेट भरता था

परिवार की खुशी के लिये वह क्या क्या करता था


बच्चों की फीस कहाँ से आती थी कोई नहीं जानता

उसको तो हर कोई था बिल्कुल निक्कमा मानता

बेटी की शादी का खर्च कहाँ से था आया

यह आज तक कोई नहीं जान पाया


दोस्तों से लिया या साहूकार से लिया था कर्ज

किसी को नहीं थी फुर्सत यह जानना नहीं था जरूरी

मन लगा कर लगा रहा परिवार को उठाने में

कोई नहीं जान पाया उसकी क्या थी मजबूरी


चला गया जब छोड़ कर तब उसकी एहमियत समझ आई

कैसे दिन रात मेहनत करके घर की दाल रोटी थी चलाई

अब नहीं आएगा जाने वाला जितना भी तुम याद करो

झूठे दिखावे के आंसू बहाकर न वक्त अपना बर्बाद करो


जीते जी अगर दिया होता उसको उचित सम्मान

दो शब्द मीठे सुन कर खुश रहता न होता परेशान

कैसे होगा अब गुज़ारा पता चलेगा जब सिर पर पड़ेगी

मजबूरी का फायदा मत उठाओ समझो सभी को इंसान


रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं

जिला बिलासपुर हि प्र