ईश्वर का वरदान है नेकी।
नेक काम तुम करते जाओ,
जीवन सफल बनाते जाओ।
भला करके एहसान जताना,
हे मानव की फितरत यही।
भलाई करो करते ही जाओ,
बदले में तुम कुछ ना पाओ।
जो तुम करते करते जाते,
तुमको वही तो मिलता है।
हाथ बदलते देखो यहांँ,
सब यहीं पर मिलता है।
फल मिले सदा साथ ही,
यह ने मन में ठानों तुम।
नेकी कर दरिया में डाल,
यही बात को मानो तुम।
आदत अपनी तुम बदलो,
करनी अब तकरार नहीं।
फल मिले या ना मिले,
करनी किसी से रार नहीं।
हिसाब रखता ईश्वर सबका,
भले बुरे तेरे कर्मों का।
न्याय सभी का करता देखो,
जैसे कर्म वैसा फल देखो।
क्यों करें हम तेरी मेरी,
नेकी जीवन में अपनाएं।
मन में प्रण कर ले हम तो,
नेक काम हम करते जाएं।
स्वयं अपने पर मनन करो,
कीचड़ ना यूं उछालों तुम।
बदलाव करो अपने भीतर,
नेकी कर दरिया में डालो।
परोपकार में जो लगे रहते
दुनिया उनको याद करती।
ईर्ष्या द्वेष को त्यागो तुम,
नेक नीयत अपनाओ तुम।
नेकी का बदला नेक मिले,
यह बात तुम मानो जी।
हाथ बदलते देखे हमने,
नेकी कर दरिया में डालो जी।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा