युवाओं में भारतीय संस्कृति के प्रति प्रोत्साहन

युवाओं में भारतीय संस्कृति के प्रति प्रोत्साहन 

करवाएं हम अपनी जड़ों को भूल न जाएं 

भारत संस्कृति का ख़जाना है यह कम ना हो पाए 

घरघर में भारतीय संस्कृति अपनाने मंत्र दिलाएं 


पारंपरिक कला शैलियों को कायम रखने 

हम ऐसा मिलकर रास्ता अपनाएं 

बेहतर जिंदगी की तलाश में 

हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं 


हम देख रहे हैं कैसे शहरीकरण स्वदेशी 

लोककला शैलियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं 

बड़े बुजुर्गों की बातों को छोड़ 

पाश्चात्य संस्कृति अपना रहे हैं 


आओ साथ मिलकर जन जागरण कराएं 

हमारी परम्पाओं कलाकृतियों में आस्था दर्शाए 

लड़ना होगा हमें पाश्चात्य संस्कृति से 

हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं 


लेखक- कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र