सप्त रंगों से मिली कल्पना,
इंद्रधनुष् है कहलाई।
नव रसों से मिल कर देखो,
कवि की कविता रंग लाई।
सात सुरों का संगम जीवन,
सात रंग है देखो इसमें।
कल्पना कवि की उड़ान भरती,
कभी प्रेम हास्य रौद्र लिखती।
नाटक गद्य पद्य वह रचती,
सुंदर भावों का समावेश करती।
मन मेरा जब चंचल हो,
थाम लेखनी लिख चलूं।
मां शारदे की कृपा हो ,
वह क्या-क्या लिख जाती।
कल्पना की उड़ान है अथाह,
गागर में सागर भर जाती।
हर पल रूप नया बदलती,
भावों का संचार करें।
लिखते लिखते रुके ना लेखनी,
भाव सभी के बतलाती।
कहना चाहे जो भी कह ले,
हर विषय पर चल जाती।
जागरूकता समाज में लाती,
लोगों में विश्वास जगाती ।
सुंदर भावों के उड़न खटोले में,
सबके हृदय की बातें कह जाती ।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा