गर में सपनों की गहराई
नाप ना चाहूं तो ।
क्यों ना तेरे दिल में उतर कर देखूं ।।
गर में समुंद्र की गहराई
नापना चाहूं तो ।
क्यों ना तेरे दिल में उतर कर देखूं।।
तेरे निंद की गहराई
तेरे सपनों की गहराई
तेरी सांसो की तन्हाई
तेरी मोहब्बत की अच्छाई ।
बन गई वक्त की गवाही
मानकर क्यों ना तेरे दिल में उतर कर देखूं ।।
प्रकाश हेमावत
टाटा नगर रतलाम