अतुलनीय पैसे का पराक्रम दिखाया है ।
चंद खराब अविद्याजनित पुरुषों ने मिलकर ,
पुनः गाँव को बंदर की भांति नचाया है ।
अन्तःकरण से शुद्ध श्रेष्ठ को दबाया है।
अति सरल विचारवान भाव को हराया है।
चंद खराब अविद्याजनित पुरुषों ने मिलकर,
समाज को विषम अन्धकूप में गिराया है ।
बेबसी व लाचारी का लाभ उठाया है ।
दिवस के उजाले में सितारे दिखाया है ।
चंद खराब अविद्याजनित पुरुषों ने मिलकर,
विनाशक अंगारो का मंडल बिछाया है ।
✍️ज्योति नव्या श्री
रामगढ़ , झारखंड