आँचल धर कर मातु का,सोता पूरी रैन ||
थपकी देकर माँ कहे , सो जा प्यारे लाल |
सुनकर लोरी प्यार से, सोते हैं गोपाल ||
लोरी गाती मातु श्री,करती सदा दुलार |
नैना मूँदे लाल जब, हर्षित रूप निहार ||
मीठी लोरी प्यार से , सुख की बहती धार |
माँ के आँचल के तले,मिलता सदा दुलार ||
सुत का मुखड़ा देखकर, चुम्बन लेती गाल |
लोरी गाती प्रेम की, सो जा मेरे लाल ||
मैया धीरे से कहे , देखो मेरी ओर |
सुनना लोरी ध्यान से,करना नहीं हैं शोर ||
लोरी सुनकर सो गया, मेरा प्यारा राज |
माता कहती प्यार से,मेरा हैं सरताज ||
अपने सुख का त्याग कर,देती अतुल्य स्नेह |
गाती लोरी भाव से , सहलाती हैं देह ||
सुनता लोरी ध्यान से, पाता प्रेम अथाह |
थपकी में हैं मातु की,बहता स्नेह प्रवाह ||
लोरी माँ का भाव हैं, गाये सुंदर गीत |
देती ममता खूब हैं, हमें बताती रीत ||
सुत को रोते देखकर, मैया लेती गोद |
मीठी लोरी प्यार हैं, उर में छाये मोद ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश