जब जीवन में सकारात्मक विचार आते हैं तो उसके परिणाम स्वरूप सुख समृद्धि बनी रहती है। इसके विपरीत नकारात्मक विचारों के परिणाम स्वरूप जीवन अनेक कष्टों से घिर जाता है। और ग्राम पंचायत कंडारी में रामकथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए मानस मर्मज्ञ द्वारिका नंद ने यह बात कही। उन्होंने भगवान श्रीराम की पावन चर्चा करते हुए बताया कि नकारात्मक विचारों के फलस्वरूप घर में वाद विवाद की स्थिति बनने लगती है। परिवार में परस्पर प्रेम और सम्मान में कमी आने लगती है।
हम बुरे विचार, अत्यधिक स्वार्थी होना, दूसरे का बुरा चाहना, धर्म से विमुख होना, अशुद्ध आचरण करना, और चरित्र हीनता जैसी बुराइयों को मन से निकाल कर जीवन को सुखमय बना सकते हैं। भगवान श्री राम के वन गमन की चर्चा करते हुए कथा व्यास ने कहा प्रभु श्री राम का जन्म तो विप्र, धेनु, सुर ,संत जन के कल्याण के निमित्त ही हुआ था। कैकई ने तापस वेश में उदासी व्रत को धारण करने के लिए प्रभु श्री राम को चौदह वर्षों हेतु वनवास जाने के दशरथ से वरदान मांगा था।
परंतु प्रभु श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे उन्होंने संतों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए उस उदासी व्रत का पालन करने का आदेश अपने अनुज भरत को दिया। भरत ने नंदीग्राम में रहकर प्रभु श्री राम के आदेश का पालन किया। कथा के पूर्व कार्यक्रम के संयोजक प्रधान कंडारी अनूप सूरज, अनन्त रत्नम वाजपेयी प्रधानाचार्य सीता ग्रुप ऑफ एजुकेशन जूनियर संवर्ग, नवनीत पांडेय, सत्य प्रकाश यादव, डा. कुंडलेश जैन सहित अन्य भक्तों ने कथा व्यास का स्वागत माल्यार्पण कर किया। इस अवसर पर संतोष सिंह, सुरेश यादव, राम किशोर, मुन्नी लाल गौतम, राजेश यादव, रघुनंदन सिंह, अंकेश, अमित, आकाश, अमरेन्द्र सिंह, विकास, अमरीश यादव बड़ी संख्या में भक्त श्री राम कथा में मौजूद रहे।