पिता मैं चाहता हूं तुम से मैं था,
अब फिर तुमसे मिलुं दोबारा !
आपने यादों में मुझे पुकारा,
पिता मैं चाहता हूं तुम से मैं था,
अब फिर तुमसे मिलुं दोबारा,
यह भी संभव होगा जब जनम
लूंगा आपके यहां ही, चाहे कहीं
भी रहो दोबारा !
याद बहुत आती छुटपन का खेला,
झूला, रैनबसेरा, पानी में भींगी मस्ती
वाली धींगामस्ती और अठखेलियाँ,
इतराकर चलती, कूदती फांदती हरी
पत्तियां खाती बकरियां और भेड़ें भूला
नहीं वह सांझ सवेरे ठंडी हवाओं के
बीच गुनगुनाती मीठे स्वरों की मधुर
स्वरों, गांवों के गीतों की रसभेरियां !
मैं पछताता किन्हें सुनाऊं सो खुद गाकर
सुन लेता हूं जनम लूंगा आपके यहां दोबारा !
- मदन वर्मा " माणिक " इंदौर