जब से मिले तुम
नजरों में बसे हो
कुछ नहीं रहा मुझ में मेरा
जिंदा लाश की तरह हूं अब
ख्यालों में आते हो तुम
शिकायते भी अब तुम से करती
मोहब्बत भी तुम से बेशुमार है
जुदाई का गम अब
आखें सह न पाती
दिल की क्या बात करू
मुझ में मेरा कुछ नहीं
मेरी दुनियां थे तुम
सोते जागते तेरी राह देखती
तुम आते थे दिल खुश हो जाता था
खुशियों की महक और सुकून के पल मिलते थे
मुझ में मेरा कुछ नहीं रहा अब
प्रतिभा जैन टीकमगढ़ मध्यप्रदेश